हम घरों में चैन से सो सकें,
इसलिए वो अपना घर छोड़ चला है।
हम सुरक्षित और महफूज़ रहे,
इसलिए वो सरहद पर तैनात खड़ा है।
हमारी आबो – हवा में सुख़ – चैन बरक़रार रहे,
इसलिए वो विषम परिस्थितियों से जूझ रहा है।
हम हर खुशी और त्यौहार बेफिक्र मना सकें,
इसलिए वो अपनी हर हंसी कुर्बान कर चला है।
हम अपने रिश्ते और दुनियादारी निभा सकें,
इसलिए वो अपना हर रिश्ता पीछे छोड़ चला है।
बूढ़े मां – बाप का सहारा,
उनकी आंखो का तारा,
किसी के माथे कि बिंदिया,
उसके सुहाग की डिबिया,
बच्चों का बचपन बीत रहा,
पिता के साथ के लिए तरस रहा।
इन सब से ऊपर है मातृभूमि उसके लिए,
इसकी रक्षा को लड़ते लड़ते अपने प्राण तज दिए।
जिनकी आंखों का था तारा, वो अंखियां पथरा गई।
सुहाग उजड़ गया, चूड़ियां टूट गई।
पिता के इंतजार में ही अब उमर बीत रही।
पराक्रम उस फ़ौजी का तो अतुलनीय है ही,
पर त्याग और बलिदान उसके परिवार का भी कम नहीं।
मेरा सलाम उस फ़ौजी और उसके परिवार को।
मेरा प्रणाम उस फ़ौजी और उसके परिवार को।
शत – शत नमन उस फ़ौजी और उसके परिवार को।
शत – शत नमन आपकी शहादत को।
शत शत नमन आपके जस्बे – ए – हिफाज़त को।